My Voice

IndiBlogger - Where Indian Blogs Meet

Tuesday, November 20, 2007

Samay

समय
मुट्ठी में बंधी रेत की तरह
फिसल रहा है हाथ से
समय
बँधा क्यूं नही रहता
कुछ ख़ूबसूरत लम्हो की तरह
समय बहता रहता है दरिया की तरह
समय पलट कर नही आता
नही दिखता गुज़रे वक़्त की परछाई
दर्पण में पड़ी लकीरो की तरह

Neelima Garg

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home